Mirgi: मिर्गी या दौरा पड़ने का, 5 आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

मिर्गी (Epilepsy) या दौरे पड़ने के 5 आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

मिर्गी मस्तिष्क से जुड़ी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, यह  एक तंत्रिका विकार है, जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे आते हैं। आयुर्वेद में इसे "अपस्मार" कहा जाता है और इसे वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से जोड़ा जाता है। आधुनिक दवाओं के साथ, आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू उपाय इस स्थिति को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।


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1. ब्राह्मी का उपयोग (Brahmi)

आयुर्वेद में महत्व:

ब्राह्मी एक जानी-मानी जड़ी-बूटी है जो मस्तिष्क को शांत करती है और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में लाभकारी होती है।

उपयोग कैसे करें:

रोज़ाना 1 चम्मच ब्राह्मी का पाउडर दूध या पानी के साथ लें।
ब्राह्मी तेल से सिर पर मालिश करें, यह तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है।

लाभ: यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनः सक्रिय करता है और दौरे की संभावना को कम करता है।

2. अश्वगंधा (Ashwagandha)

आयुर्वेद में महत्व:

अश्वगंधा एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है जो तनाव और न्यूरोलॉजिकल असंतुलन को नियंत्रित करती है।

उपयोग कैसे करें:

1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
अश्वगंधा कैप्सूल का भी उपयोग कर सकते हैं।

लाभ: यह तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती है और मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक है।

3. नारियल तेल का सेवन (Coconut Oil)

घरेलू उपाय:

नारियल तेल में मौजूद मध्यम श्रृंखला ट्राइग्लिसराइड्स (MCTs) मस्तिष्क के लिए एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।

उपयोग कैसे करें:

रोज़ाना 2-3 चम्मच शुद्ध नारियल तेल का सेवन करें।
इसे नियमित भोजन में शामिल करें।

लाभ: यह मस्तिष्क में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखता है और तंत्रिका गतिविधियों को संतुलित करता है।

4. शंखपुष्पी (Shankhpushpi)

आयुर्वेद में महत्व:

शंखपुष्पी एक प्राकृतिक तंत्रिका टॉनिक है जो मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाती है।

उपयोग कैसे करें:

शंखपुष्पी सिरप या पाउडर का उपयोग करें।
इसे दूध के साथ रात को सोने से पहले लें।

लाभ: यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है और दौरे की तीव्रता को कम करती है।

5. तुलसी के पत्ते (Holy Basil)

घरेलू उपाय:

तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं।

उपयोग कैसे करें:

रोज़ाना 5-7 तुलसी के पत्तों को चबाएं।
तुलसी के पत्तों का रस निकालकर शहद के साथ सेवन करें।

लाभ: यह दौरे की संभावना को कम करता है और मस्तिष्क को प्राकृतिक रूप से शांत करता है।

अतिरिक्त सुझाव:

योग और प्राणायाम:

अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें।
यह मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

परहेज:

अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीजों से बचें।
कैफीन और शराब का सेवन न करें।

नियमित दिनचर्या:

समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें।
मानसिक तनाव से बचें।

सावधानियाँ:

इन उपायों को अपनाने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
यदि दौरे लगातार आते हैं या स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आयुर्वेद और घरेलू उपचार मिर्गी के दौरे को प्रबंधित करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन इन्हें चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि पूरक के रूप में अपनाएं।

 

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