गुरुवायूर एकादशी 2024: तिथि, पारण समय, विधि और महत्व

गुरुवायूर एकादशी 2024: तिथि, पारण समय, विधि और महत्व

गुरुवायूर एकादशी, केरल के प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर में मनाए जाने वाले सबसे पवित्र पर्वों में से एक है। यह दिन भगवान विष्णु और विशेष रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह एकादशी कार्तिक मास (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। इस दिन को भक्तगण बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

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  • गुरुवायूर एकादशी 2024 तिथि
  • तिथि: शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 दिसंबर 2024, रात्रि 8:32 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 6 दिसंबर 2024, रात्रि 10:20 बजे

पारण समय (व्रत खोलने का समय)

पारण का समय: 7 दिसंबर 2024, प्रातः 6:30 बजे से 8:45 बजे तक
पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रत को विधि-विधान से खोलना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

गुरुवायूर एकादशी की विधियां,

व्रत रखना: भक्त इस दिन अन्न, दाल और कुछ विशेष सब्जियों का सेवन नहीं करते। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें जल भी नहीं लिया जाता।
 
मंदिर दर्शन: भारी संख्या में भक्त गुरुवायूर मंदिर में भगवान कृष्ण के दर्शन और पूजा के 
लिए जाते हैं।
 
भजन और कीर्तन: दिनभर भक्ति गीत और भगवान के नामों का जप किया जाता है।
 
पवित्र ग्रंथों का पाठ: भक्त इस दिन भगवद्गीता या विष्णु से संबंधित अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ करते हैं।
 
दीप जलाना: मंदिरों या घरों में दीप प्रज्वलित करना, नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और भक्तिभाव प्रदर्शित करने का प्रतीक है।
दान गरीबों को भोजन कराना और मंदिरों में दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

गुरुवायूर एकादशी का महत्व,

आध्यात्मिक शुद्धि: इस दिन व्रत रखने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है और भगवान के समीप आने का अवसर मिलता है।
 
गीता जयंती: गुरुवायूर एकादशी अक्सर गीता जयंती के साथ पड़ती है, जिस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था।
 
मोक्ष प्राप्ति: इस दिन की भक्ति और व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
 
गवान कृष्ण की भक्ति: यह दिन भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी कृपा पाने का विशेष अवसर है।

गुरुवायूर एकादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक जागृति का पर्व है। चाहे गुरुवायूर मंदिर में जाकर पूजा करें या घर पर भक्ति करें, यह पावन दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की कृपा का अनुभव करने का एक अद्भुत अवसर है।

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